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7 मिनट पहलेलेखक: किरण जैन

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फिल्म ‘छावा’ में एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना छत्रपति संभाजी महाराज की पत्नी, महारानी येसूबाई भोसले का किरदार निभा रही हैं। एक मराठी महारानी का किरदार निभाना रश्मिका के लिए सिर्फ एक मौका नहीं, बल्कि एक सपना था। हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान, रश्मिका ने बताया कि उनका सपना खुद को महारानी के रोल में देखना था, जो ‘छावा’ से पूरा हुआ। बता दें, इस किरदार के लिए रश्मिका ने पांच महीने तक रोजाना 3-4 घंटे भाषा सीखने में बिताए।

महारानी का किरदार निभाना सपना था

रश्मिका ने कहा, ‘इस फिल्म के लिए मैंने बहुत ज्यादा मेहनत की है। लेकिन यह वही है जो मैंने हमेशा चाहा था। जब मैंने एक्टर बनने का सपना देखा, तब से ऐसी ऐतिहासिक फिल्म में काम करने की इच्छा थी। हमारे इतिहास, परंपराओं और संस्कृति की भव्यता मुझे हमेशा आकर्षित करती है। ‘छावा’ जैसी फिल्म में काम करना मेरे लिए एक सपना पूरा होने जैसा है। मैं हमेशा से खुद को एक राजसी दुनिया में, किसी महारानी के रूप में, शाही महल, शानदार डांस और इतिहास के बीच देखने का सपना देखती थी। जब यह फिल्म मेरे पास आई तो मैं बहुत उत्साहित थी।

यह लक्ष्मण उतेकर सर की दूरदृष्टि थी जिसने इसे खास बनाया। उन्होंने मुझे पहली बार कहानी सुनाते समय कहा था कि वह मुझे एक महाराष्ट्रीयन क्वीन के रूप में देखना चाहते हैं। मेरी शक्ल-सूरत, मेरे चेहरे के फीचर्स – सब कुछ इस किरदार के लिए परफेक्ट थे। यह एक ऐसी फिल्म है जो आपको गर्व महसूस कराएगी। यह न केवल भव्य है बल्कि दिल को छूने वाली भी है।’

पांच महीने तक सीखी भाषा; लक्ष्मण सर कहते थे- दक्षिण या उत्तर नहीं, किरदार मुख्य है

किरदार की तैयारी को लेकर एक्ट्रेस ने आगे कहा, ‘सबसे बड़ी तैयारी लैंग्वेज को लेकर रही। हिंदी मेरी मातृभाषा नहीं है। यह भाषा मेरे लिए स्वाभाविक नहीं है लेकिन मेरी ऑडियंस के लिए इसे सीखना मेरा फर्ज था। फिर जब आपको एक क्वीन का किरदार निभाना हो, तो आपको हर चीज पर पकड़ बनानी होती है- चाल, बोलचाल, अंदाज- सबकुछ। डायलॉग के लिए मैंने हर दिन तीन से चार घंटे मेहनत की। यह सिलसिला पांच महीनों तक चला। हर शब्द, हर वाक्य को मैं इस तरह सीखती थी जैसे यह मेरी अपनी जुबान हो।

मेरे लिए यह सिर्फ किरदार निभाने की बात नहीं थी, बल्कि उस किरदार की आत्मा को जीने की कोशिश थी। इस दौरान मैंने यह भी सीखा कि भाषा केवल शब्दों से नहीं, बल्कि भावनाओं से भी बनती है।

लक्ष्मण सर कहते थे, ‘जब लोग तुम्हें सुनेंगे, तो वे भूल जाएंगे कि तुम दक्षिण से आई हो या उत्तर से। उन्हें केवल तुम्हारा किरदार दिखेगा। मैं खुश हूं कि हमने यह हासिल किया। ‘छावा’ मेरी अब तक की सबसे मेहनती जर्नी रही है। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि मेरे लिए एक सपना पूरा होने जैसा है।’

सलमान खान के साथ सेट पर हर दिन एक यादगार पल होता

बता दें, रश्मिका सलमान खान के साथ फिल्म ‘सिकंदर’ में भी हैं। उनके साथ काम करने के अनुभव को लेकर उन्होंने कहा, ‘सलमान खान के साथ काम करना… क्या कहूं। यह मेरे करियर का एक बेहद खास मौका है। सेट पर हर दिन एक यादगार पल होता है। सलमान सर सबसे स्वीट और विनम्र इंसान हैं। जब वो सेट पर होते हैं, तो माहौल अपने आप हल्का-फुल्का और मजेदार हो जाता है। सब हंसते हैं, मस्ती करते हैं लेकिन साथ ही काम को लेकर पूरा फोकस भी रखते हैं। उनके साथ काम करना न सिर्फ एक सम्मान है, बल्कि उनके साथ वक्त बिताना भी बहुत कुछ सीखा जाता है।

जब मुझे पता चला कि मैं सलमान के साथ फिल्म कर रही हूं, तो यकीन मानिए, मैं बहुत नर्वस थी लेकिन सलमान सर का जादू ही ऐसा है कि वो सबको तुरंत कंफर्टेबल महसूस कराते हैं। उनका स्वभाव इतना आरामदायक है कि आपको लगता ही नहीं कि आप एक लिविंग लेजेंड के साथ काम कर रहे हैं। उनके साथ काम करना न सिर्फ एक अनुभव है, बल्कि यह उन यादों में शामिल है जो मैं जिंदगी भर सहेजकर रखूंगी।’

हिट फिल्मों का सिलसिला

रश्मिका पिछले तीन सालों में ‘पुष्पा 1’, ‘एनिमल’ और ‘पुष्पा 2’ जैसी लगातार हिट फिल्में दे रही हैं। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘साल का अंत हमेशा सेलिब्रेशन के साथ होता है लेकिन असली जर्नी पूरे साल की मेहनत है। हम हर फिल्म के लिए सोचते हैं कि लोग इसे कैसे एन्जॉय करेंगे और क्या इसे सेलिब्रेट करेंगे। पिछले तीन साल काफी मेहनत भरे रहे। हर दिन किरदार को समझने, कठिन सिचुएशन और चैलेंजे का सामना करने में बीता।

जब फिल्में हिट होती हैं, तो यह एहसास होता है कि यह सारी मेहनत सही दिशा में गई। फिल्मों का चयन मैं दिल से करती हूं। मुझे लगता है कि जो कहानी मुझे उत्साहित करती हैं, वही ऑडियंस को भी जोड़ेंगी। हर किरदार के साथ मैं खुद को सच्ची रखता हूं, क्योंकि मेरी पर्सनैलिटी मेरे लिए सबसे जरूरी है। यही मुझे सही रास्ता दिखाती है।’

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