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मुंबई15 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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रोशन परिवार की जिंदगी पर बेस्ड डॉक्यूमेंट्री सीरीज ‘द रोशन्स’ 17 जनवरी को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई। चार एपिसोड की इस सीरीज में रोशन परिवार की तीन जेनरेशन की कहानी बताई गई है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने में इस परिवार का क्या योगदान है, इसे सिनेमाई अंदाज में पेश किया गया है।

इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज के प्रोड्यूसर राकेश रोशन और डायरेक्टर शशि रंजन ने दैनिक भास्कर से बातचीत की है। करण अर्जुन, कहो ना प्यार है और कोई मिल गया जैसी फेमस फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर राकेश रोशन ने उस सोच और विजन पर बात की, जिसकी वजह से यह सीरीज बनाई गई।

सवाल- राकेश जी, अपनी फैमिली की लाइफ पर बेस्ड डॉक्यूमेंट्री बनाने की सोच कैसे आई? जवाब- 7-8 साल पहले एक म्यूजिक डिवाइस आया था। उसमें 5-10 हजार गाने थे। एक दिन मैं बैठा उसमें अपने पिता (फेमस म्यूजिक डायरेक्टर रोशन लाल नागरथ) के गाने सर्च करने लगा। दुर्भाग्य से मुझे एक भी गाने नहीं मिले। गाने छोड़िए, टाइप करने पर उनका नाम तक नहीं आया। मुझे गहरा दुख हुआ।

एक दिन मैं अपने फार्महाउस पर डायरेक्टर शशि रंजन के साथ बैठा हुआ था। मैंने शशि से कहा कि यार, मेरे पिता के बारे में लोगों को बताना बहुत जरूरी है। इंडस्ट्री में उनका क्या योगदान है, यह सबको पता होना चाहिए। हालांकि, सिर्फ उन्हें लेकर बात होगी तो आज की जेनरेशन शायद इससे रिलेट नहीं कर पाएगी। इसलिए मैंने और शशि ने डिसाइड किया कि हम रोशन परिवार की तीन पीढ़ियों की कहानी दिखाएंगे।

सवाल- क्या आपके पिता रोशन साहब को जो सम्मान मिलना चाहिए था, नहीं मिला? जवाब- बिल्कुल नहीं मिला। उन्होंने एक से बढ़कर एक गाने बनाए। दुख की बात यह है कि अपने पीक टाइम पर ही वे गुजर गए। सिर्फ 49 साल के रहे होंगे। उनके गाने सुने तो जाते हैं, लेकिन लोगों को यह नहीं पता होता कि उसे बनाने वाले रोशन साहब ही थे।

पिता रोशन लाल नागरथ के साथ राकेश के बचपन की तस्वीर। फोटो क्रेडिट- नेटफ्लिक्स

पिता रोशन लाल नागरथ के साथ राकेश के बचपन की तस्वीर। फोटो क्रेडिट- नेटफ्लिक्स

सवाल- पिता के गुजरने के बाद आपने अपने लिए रास्ते कैसे बनाए? जवाब- पिता गुजरे तो लगा कि सब खत्म हो गया। उन्होंने मेरे लिए कोई एंपायर बनाकर नहीं छोड़ा था। पिताजी के निधन के वक्त मैं सिर्फ 17-18 साल का था। मेरे सामने अंधकार के अलावा कुछ नहीं था। फिर मैंने खुद का नाम बनाने के लिए जीरो से स्टार्ट किया।

सबसे पहले मैंने असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करना शुरू किया। फिर प्रोडक्शन में हाथ आजमाया। एक्टिंग भी की, लेकिन ज्यादा सफल नहीं हो सका। बहुत फ्रस्टेट भी होने लगा था। साइड रोल भी किए, विलेन भी बना। लेकिन इंडस्ट्री कभी नहीं छोड़ी। शायद इसी वजह से आगे रास्ते बनते गए।

सवाल- शशि जी, 4 एपिसोड की इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने के लिए आपकी सोच क्या थी? जवाब- मैंने एक टीवी चैनल के लिए मेकिंग ऑफ लीजेंड्स नाम से शो बनाया था। उस शो में कई लिविंग लीजेंड्स की कहानी बताई गई थी। मैंने तकरीबन 50 से 60 एपिसोड बनाए थे। उस वक्त ही समझ आ गया था कि अगर हम अपने लीजेंड्स की कहानी को ईमानदारी से दिखाएंगे, तो दर्शक इसे पसंद जरूर करेंगे। जब मैंने रोशन परिवार की कहानी सुनी तो एक इमोशनल कनेक्ट हुआ। ऐसा लगा कि मेरी ही कहानी है।

शशि रंजन (दाएं से पहले) काफी सालों से इंडस्ट्री में बतौर डायरेक्टर एक्टिव हैं।

शशि रंजन (दाएं से पहले) काफी सालों से इंडस्ट्री में बतौर डायरेक्टर एक्टिव हैं।

सवाल- शशि जी, इस डॉक्यूमेंट्री को बनाते हुए चुनौतियां भी आईं, या कोई खूबसूरत किस्सा हो? जवाब- चुनौतियां तो बिल्कुल नहीं आईं। रोशन फैमिली के लोग इतने सिंपल हैं कि उनके साथ काम करना वाकई आसान होता है। चाहे राकेश रोशन हों, राजेश रौशन हों या ऋतिक। ये सारे डाउन टू अर्थ लोग हैं। ऋतिक तो ऐसे बात करते हैं, जैसे लगता ही नहीं कि इतने बड़े स्टार हैं।

मुझे यह कभी फील नहीं हुआ कि मैं इतने पॉपुलर लोगों के साथ काम कर रहा हूं। इन लोगों ने मुझे हमेशा कंफर्ट दिया। मेरी टीम ने भी इस डॉक्यूमेंट्री को अलग लेवल पर ले जाने में काफी मदद की। हमने इसके बैकग्राउंड म्यूजिक पर काफी काम किया।

जब आप इस डॉक्यूमेंट्री को दो-तीन बार देखेंगे तो आपको एहसास होगा कि म्यूजिक पर कितनी बारीकी से काम किया गया है। डॉक्यूमेंट्री देखने के बाद डेविड धवन ने फोन कर मुझे बधाई दी थी। स्पेशली उन्हें इसका बैकग्राउंड म्यूजिक काफी पसंद आया था।

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