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विक्रांत मैसी, रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना स्टारर फिल्म द साबरमती रिपोर्ट रिलीज हो गई है। फिल्म की लेंथ 2 घंटे 3 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार रेटिंग दी है।

द साबरमती रिपोर्ट एक क्राइम-थ्रिलर फिल्म है, जो 2002 में हुए गोधरा कांड पर आधारित है। इस फिल्म में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की S6 बोगी में हुए आगजनी और उसमें मारे गए 59 कारसेवकों की सच्चाई को उजागर करने की कोशिश की गई है। फिल्म की कहानी समर कुमार (विक्रांत मैसी) नामक एक हिंदी पत्रकार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो इस घटना के असल सच को सामने लाने के लिए संघर्ष करता है। फिल्म में रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना भी अहम भूमिकाओं में हैं।

फिल्म की कहानी क्या है? ‘द साबरमती रिपोर्ट’ में समर कुमार (विक्रांत मैसी), एक हिंदी पत्रकार है, जो फिल्म बीट कवर करता है। उसे हमेशा फिल्म इंडस्ट्री और अंग्रेजी भाषी पत्रकारों द्वारा हीन भावना से देखा जाता है। दूसरी ओर, मनिका (रिद्धि डोगरा), एक तेज तर्रार अंग्रेजी न्यूज एंकर है, जिसका मीडिया में दबदबा है।

गोधरा में, 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की S6 बोगी में आग लगने से 59 कारसेवकों की मौत हो जाती है। मनिका, इस घटना को कवर करने के लिए गोधरा जाती है और समर को अपने कैमरा मैन के रूप में साथ ले जाती है। समर इसे अपने करियर का ‘गोल्डन चांस’ मानता है। लेकिन जब मनिका अपने बॉस के कहने पर पूरी घटना को उलटकर जनता के सामने झूठी रिपोर्ट पेश करती है, तो समर चौंक जाता है। वह सच्चाई को सामने लाने के लिए अपनी रिपोर्ट तैयार करता है, लेकिन चैनल के बॉस द्वारा उसे न केवल नौकरी से निकाल दिया जाता है, बल्कि कैमरा चोरी के आरोप में जेल भेज दिया जाता है।

समर का जीवन संघर्षों से भरा हो जाता है—नौकरी से वंचित, शराब की लत में डूबा, और समाज से दूर। इस बीच, नानावटी कमीशन की रिपोर्ट के बाद झूठी खबर का खुलासा होने का डर चैनल के अधिकारियों और मनिका को सता रहा होता है। मनिका अपने चैनल की नई रिपोर्टर अमृता (राशि खन्ना) को गोधरा भेजती है, ताकि वह अपनी रिपोर्ट को पुख्ता कर सके और राज्य सरकार पर दोष मढ़ सके।

अमृता को समर की रिपोर्ट का वीडियो मिलता है, और वह उसे अपने साथ गोधरा ले जाने के लिए मनाती है। इस प्रकार, दोनों मिलकर गोधरा कांड की सच्चाई तक पहुंचते हैं और उन निर्दोष 59 लोगों के साथ हुई त्रासदी को दुनिया के सामने लाते हैं।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? विक्रांत मैसी ने समर कुमार के किरदार में बेहतरीन अभिनय किया है। उनकी संवाद अदायगी और भावनात्मक गहराई को देखकर लगता है कि वे इस भूमिका के लिए पूरी तरह से समर्पित थे। गोधरा कांड की सच्चाई को ढूंढने की उनकी जद्दोजहद को स्क्रीन पर महसूस किया जा सकता है। रिद्धि डोगरा ने भी अपने किरदार मनिका में प्रभावी अभिनय किया है, और उनकी भूमिका में गहरे नकारात्मक शेड्स हैं। राशि खन्ना ने अमृता के किरदार को ठीक-ठाक तरीके से निभाया है, हालांकि कुछ दृश्यों में उनकी भूमिका थोड़ी अधूरी लगती है।

डायरेक्शन कैसा है? धीरज सरना ने फिल्म का निर्देशन किया है और एक संवेदनशील मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि, फिल्म के पहले भाग में स्क्रीनप्ले और स्टोरीलाइन में कुछ खामियां नजर आती हैं। कुछ हलके-फुल्के कॉमिक सीन्स बिना किसी कारण के डाले गए हैं, जो गंभीर मुद्दे के साथ मेल नहीं खाते। फिल्म का दूसरा भाग थोड़ी थ्रिल बढ़ाता है। लेकिन क्लाइमेक्स थोड़ा कमजोर लगता है। जैसा कि इस फिल्म का उद्देश्य 59 निर्दोष लोगों की हत्या का सच दर्शाना था, लेकिन अंत में दर्शकों को कोई नई जानकारी नहीं मिलती, जो पहले से मीडिया और अखबारों में देखी जा चुकी हो।

कैसा है फिल्म का म्यूजिक? फिल्म का संगीत साधारण है, और सिर्फ “राजा राम” गाना प्रभावशाली लगता है। बाकी संगीत ज्यादा ध्यान आकर्षित नहीं करता।

फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं? द साबरमती रिपोर्ट’ को वे दर्शक देख सकते हैं, जो गोधरा कांड के बारे में फिल्मी अंदाज में जानकारी पाना चाहते हैं। हालांकि, फिल्म अपने विषय के साथ न्याय करने में पूरी तरह सफल नहीं होती। इसकी कहानी और प्रस्तुति में कुछ कमियां हैं, लेकिन विक्रांत मैसी और रिद्धि डोगरा की शानदार अदाकारी इसे एक बार देखने लायक बना देती है।

गुजरात दंगे से जुड़ी ये जानकारी पढ़ें..

  • गुजरात में इस घटना के समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। मार्च 2002 में उन्होंने गोधरा कांड की जांच के लिए नानावटी-शाह आयोग बनाया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने।
  • आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 में पेश किया। इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया। साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दी गई।
  • 2009 में जस्टिस केजी शाह का निधन हो गया। जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और तब आयोग का नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया।
  • आयोग ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया। इसमें भी रिपोर्ट के पहले हिस्से में कही गई बात दोहराई गई।

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