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मुंबई4 मिनट पहलेलेखक: किरण जैन और अभिनव त्रिपाठी

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जो लोग कहते हैं कि समय खत्म हो गया, अब लाइफ में कुछ नहीं हो सकता। जो अपनी नाकामियों का ठीकरा किस्मत पर फोड़ते हैं, उन्हें एक्टर बोमन ईरानी के जीवन से सीखने की जरूरत है।

बोमन ईरानी ने 44 साल की उम्र में पहली फिल्म की। किसी भी काम की शुरुआत करने का कोई निश्चित समय नहीं होता। बोमन ने इस बात को साबित कर दिया। आज बोमन अपना 65वां जन्मदिन मना रहे हैं। बोमन ने भले ही लेट स्टार्ट किया, लेकिन आज उनकी गिनती कद्दावर अभिनेताओं में होती है।

बोमन ने अपने करियर में 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। मुन्नाभाई MBBS के डॉक्टर अस्थाना से लेकर 3 इडियट्स के वीरू सहस्त्रबुद्धे यानी वायरस तक। बोमन के निभाए ये दो रोल इनके करियर की हाईलाइट हैं।

मुन्नाभाई MBBS की शूटिंग से एक साल पहले प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा ने बोमन को 2 लाख का चेक थमा दिया था। उन्होंने कहा कि मैं अगले साल एक फिल्म करूंगा, आप उसमें काम करेंगे, इसलिए ये पैसे रख लीजिए। विधु को पता था कि अगर बोमन फिल्मों में आ गए तो उनकी डेट्स मिलनी मुश्किल हो जाएंगीं।

2 दिसंबर 1959 को जन्मे बोमन ईरानी की लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से..

हफ्ते में 5 दिन फोटोग्राफी और 2 दिन थिएटर करते थे फिल्मों में आने के ठीक पहले बोमन फोटोग्राफी करते थे। वे हफ्ते के 5 दिन फोटोग्राफी करते थे, जबकि दो दिन यानी शनिवार और रविवार को थिएटर करते थे। कहीं न कहीं उनका मन एक्टिंग में आने का था। हालांकि अपनी काबिलियत पर शक करते थे।

राज्यसभा टीवी को दिए एक पुराने इंटरव्यू में बोमन ने कहा था, ‘35 साल की उम्र में मैंने दो-तीन इंग्लिश प्ले में काम किया। वे सारे प्ले इंग्लिश थिएटर के इतिहास में सबसे ज्यादा फेमस हुए। मेरा प्ले देखने कई बड़े प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स आते थे। वे मुझे फिल्मों में आने का ऑफर भी देते थे। मैंने शुरुआती दौर में कुछ फिल्में ठुकरा भी दीं। मैं अपना फोटोग्राफी वाला करियर छोड़ना नहीं चाहता था।’

बोमन की एक शॉर्ट फिल्म पर विधु विनोद चोपड़ा की नजर पड़ी, फिर किस्मत पलटी बोमन भले ही फिल्मों में आने से कतरा रहे थे, लेकिन किस्मत उनका दरवाजा बार-बार खटखटा रही थी। बोमन तकरीबन 42 साल के रहे होंगे, जब एक शॉर्ट फिल्म में काम करने का मौका मिला। इस बार उन्होंने बिना मन के उस फिल्म में काम कर लिया।

किस्मत का खेल देखिए, दिग्गज फिल्म मेकर विधु विनोद चोपड़ा ने कहीं से वो शॉर्ट फिल्म देख ली। उन्होंने बोमन को बुलाया और फिल्म ऑफर कर दी। 14 दिन की शूटिंग थी। बोमन यह सोच कर आए थे कि 14 दिन की ही बात है, कर लेते हैं। हालांकि उन 14 दिनों में बोमन की लाइफ पूरी तरह बदल गई। वो फिल्म थी मुन्नाभाई MBBS। वे रातों-रात सेंसेशन बन गए। फिल्म में संजय दत्त और बोमन ईरानी की नोकझोंक को ऑडियंस ने खूब पसंद किया।

फिल्म मुन्नाभाई MBBS का एक सीन। यह फिल्म 19 दिसंबर 2003 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने संजय दत्त (बाएं) को दोबारा इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया।

फिल्म मुन्नाभाई MBBS का एक सीन। यह फिल्म 19 दिसंबर 2003 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने संजय दत्त (बाएं) को दोबारा इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया।

घर की बेकरी भी चलाते थे, वहां चिप्स बेचा करते थे हमने यह तो बता दिया कि फिल्मों में आने से पहले बोमन फोटोग्राफी करते थे, हालांकि फोटोग्राफी उनका पहला पेशा नहीं था। वे इससे पहले खुद की एक बेकरी चलाते थे। उनकी बेकरी में मुख्य रूप से आलू के चिप्स बनते थे। वे ईट की भट्टी में चिप्स छानकर उसे पैक कर अपनी दुकान में बेचते थे। बोमन ने तकरीबन 12 साल बेकरी चलाई। इस बेकरी से बहुत ज्यादा आय नहीं होती थी, बस घर के खर्चे निकल जाते थे।

मां बीमार पड़ीं, इसलिए मजबूरी में बेकरी संभालनी पड़ी घर की बेकरी चलाना शौक नहीं, मजबूरी थी। दरअसल इस बेकरी को उनकी मां चलाती थीं। पिता नहीं थे, इसलिए मां ही बेकरी के जरिए परिवार का पालन-पोषण करती थीं। अचानक वे बीमार पड़ने लगीं। बोमन को तब मजबूरी में बेकरी संभालनी पड़ी।

ताज होटल में वेटर और बार टेंडर का भी काम किया बेकरी संभालने से पहले बोमन मुंबई के फेमस ताज होटल में वेटर का काम करते थे। 1979 से 1980 के बीच उन्होंने रूम सर्विस, वेटर और बार टेंडर का काम किया।

बोमन के पेरेंट्स चाहते थे कि उनका बेटा लॉयर या डॉक्टर बने। यह मुमकिन नहीं हो पाया क्योंकि बोमन पढ़ाई में कभी अच्छे नहीं रहे। बड़े हुए तो पैसे कमाने की चुनौती थी, इसलिए कम उम्र में ही वेटर का काम करना शुरू कर दिया।

बोमन ने मुंबई के एक कॉलेज से 2 साल का वेटर का कोर्स भी किया था।

बोमन ने मुंबई के एक कॉलेज से 2 साल का वेटर का कोर्स भी किया था।

रियल लाइफ में ‘वायरस’ की विचारधारा के सख्त खिलाफ बोमन बोमन ने फिल्म 3 इडियट्स में एक अभिमानी और खडूस कॉलेज डीन का रोल किया था। उनके कैरेक्टर को फिल्म में वायरस बुलाया गया। वायरस हमेशा इस बात पर जोर देता है कि जो पेरेंट्स चाहें, बच्चों को वही काम करना चाहिए, भले ही इसके चक्कर में सपने क्यों न रौंदने पड़ जाएं। रियल लाइफ में बोमन अपने निभाए किरदार वायरस की इस मानसिकता के बिल्कुल खिलाफ हैं।

उन्होंने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘अगर किसी बच्चे के मार्क्स अच्छे नहीं आ रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे कुछ नहीं आता। हो सकता है कि उसकी दिलचस्पी किसी और फील्ड में हो। सचिन तेंदुलकर का इंटरेस्ट क्रिकेट में था, अगर उनसे कुछ और काम कराया जाता तो शायद वे बेस्ट नहीं कर पाते।’

फिल्म 3 इडियट्स में बोमन ने एक आइकॉनिक कैरेक्टर किया जो आज भी लोगों की जेहन में है।

फिल्म 3 इडियट्स में बोमन ने एक आइकॉनिक कैरेक्टर किया जो आज भी लोगों की जेहन में है।

बोमन ईरानी जैसा जीनियस माइंड नहीं देखा- विवान शाह बोमन ईरानी के साथ फिल्म हैप्पी न्यू ईयर में काम कर चुके एक्टर विवान शाह ने कुछ बातें शेयर कीं। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में चुनिंदा ही लोग होंगे, जिनका दिमाग अलग लेवल पर काम करता है। बोमन ईरानी उनमें से एक हैं। मैंने उनके जैसा जीनियस इंसान नहीं देखा। कैमरे के सामने वे एक एथलीट की तरह काम करते हैं।

मैं तो उनकी तुलना मशहूर हॉलीवु़ड एक्टर जैक निकलसन (तीन बार के ऑस्कर विनर) से करना चाहूंगा। जैक निकलसन के अंदर जो स्पार्क और चमक थी, वो मुझे बोमन सर के अंदर दिखाई देती है।’

बहुत अच्छे गेमर भी हैं बोमन विवान ने बताया कि बोमन बहुत अच्छे गेमर भी हैं। विवान ने कहा, ‘हम लोग घर पर प्ले स्टेशन खेलते थे। मैं बार-बार उनकी टीम को हरवा देता था। मैं और वे एक ही टीम में होते थे। वे बेहतरीन तरीके से खेलते थे, जबकि मैं बहुत खराब खेलता था। मेरी वजह से वे हार जाते थे। हमारी खूब तू-तू, मैं-मैं होती थी।’

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